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हिन्दीकविता hindikavita क्या खोया क्या पाया पाया बहोत कुछ और खोया भी बहोत ही नही वे ना मिल पाया जो कभी था... सिंह खेलता था से जो जीवन सत्य अपना अपना ताला उदास था उसको रंगना

Hindi अपना था वे मिला और जो अपना था Poems